मेरे सपनो का भारत
भारत
क्या यही था मेरे सपनों का भारत, नहीं नहीं यह तो ना था । जहां पूरब पश्चिम कि ओर चलने लगी हवा,
हिंदी से अग्रेजी में बदलने लगी जुबा
जाने भारत की तकदीर क्यों गई खफा
क्या यही था मेरे सपनों का भारत, नहीं नहीं यह तो ना था ।
जहाँ धर्मों के नाम पर होता हैं दंगा भ्रष्टाचारी और बेइमानी में इंसान है रंगा
खून की होली से मैली हो गई गंगा
नारी का रुप सीता से बदलकर हो गया है अम्बा
क्या यही था मेरे सपनों का भारत, नहीं नहीं यह तो ना था ।
आज पैसो के लिए जाने बेची जाती है।
जिन्दगी से खिलवाड करके बेची जाती है नकली दवा डिस्को के ट्रेक पर लूप्त हो गई रामायण की कथा
क्या यही था मेरे सपनों का भारत, नहीं नहीं यह तो ना था ।
नेता अब नोटो के चोर हो गए
ईमानदार डरकर कहीं गलियों में खो गए
कोयल अब गीत नही गाती, शाम अब बच्चों को नही भाती रेत के घर बनने बंद हो गए है, बचपन में सपने सवरने बंद हो गए है
मर गए पैसो के पीछे पर लालच की भूख नही भारती क्या यही था मेरे सपनों का भारत, नहीं नहीं यह तो ना था ।
गाधी सुभाष के सोने का भारत
लगता है सपना, अब सपना बनकर रह गया राम का वनवास,
सीता का तप, आज के नवयुवकों के लिए मजाक बन कर रह गया सपना और दिल टूट गया अचानक याद आया यह तो 21 वीं सदी का भारत है प्यार का देश नही, विज्ञान की ईमारत है।
क्या यही था मेरे सपनों का भारत, नहीं नहीं यह तो ना था।
Interesting
ReplyDeleteIndian
ReplyDeleteWounder full
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